deshila दीपावली

deshila दीपावली

हमारी भारतीय संस्कृति में त्योहारों का महत्व उतना ही है जितना  शरीर को जीवित रखने के लिए भोजन की जरूरत होती है जिस प्रकार एक कला कार अपने चित्र मै बहुत ही मार्मिक ढंग से अनेक रंगों को बिखेर कर चित्र को सजीव बना देता है ठीक उसीतरह , हमारे देश का पारंपरिक त्योहार हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार करता है  और हमारे अंदर  एक सुखद जीवन की जिज्ञासा पैदा कर जाता है  जिससे हमारा तन मन एकाग्रचित हो कर अगले पड़ाव कि तरफ निकल पड़ता है।

            हमारे जीवन में अंधकार और प्रकाश का बड़ा ही महत्व माना गया है अंधकार में मानव मन के अंदर अनेकों वकृतिया अपना पैठ बना लेती है जिससे इंशानी सक्तिया अपने मार्ग से भटकने लगती, वहीं दूसरी तरफ प्रकाश हमारे इंसानी सक्तियो को एक नई दिशा एक नई ऊर्जा के साथ एक नया मार्ग का निर्माण करती है जिससे हमारा जीवन अंधकार के शैतानी शक्तियों पर विजय प्राप्त करता है।

deshila दीपावली पर क्या करे क्या ना करें

           आज के टीनिकल युग में हमारे सजो समान का स्वरूप बदलता जा रहा है जिससे हमारी संस्कृति बिलखती हुई नजर आ रही है, खो गया वो दिन जब हमारे गरीब कुम्हार चाक पर छोट छोटे दीपकों की माला बनाते थे और हमलोग स्कूल के रास्ते में पड़ने वाले कुम्हार के घर के सामने खड़े हो कर उसकी हाथो कि कारीगरी को घंटो निहारते थे।

              खो गए वो दिन जब  बहन बेटियां घर में मिट्टी के बने छोटे छोटे दीपकों में गाय का घी डालकर तथा रूई का बाती बनाकर दीपकों की माला तैयार करती और वो दीपक रात भर टिमटिमाता हुआ अपनी प्रकाश की छटा बिखेरता रहता और हम लोग सुबह में फिर से इक्कठा करके आपस मे लड़ते झगड़ते रहते थे ऐसा अनुभव अब अपना अतीत खोता जा रहा है और हमारा बचपन आज इन चाईनीज लाइट को देख कर सिशक्ता हुआ नजर आता हम उसे देख तो सकते है परन्तु छु नहीं साक्ते क्यो की हमारी सांस्कृतिक विरासत हमे जला सकती है परन्तु मिटा नहीं सकती और आज की ये आर्टिफिसियल लाइट भले ही हमें चका चौध रोशनी प्रदान करे तो क्या लेकिन एक लापरवाही हमारे बचो को मुसीबत में डाल सकता है।

deshila दीपावली & आर्टिफिसियल लाइट 07

          आज के टेकनिकल युग में ये आर्टिफिसियल लाइट हमारी संस्कृति हमारी अर्थ बिवस्था को निगलती जा रही है हम अपने चंद फायदों के लिए अपने लघु उद्योग का गला घोंटने पर उतारू हो चुके है जिस पैसे से हम अपने भाई गरीब कुम्हार के घर को रौशन कर सकते है , अपनी अर्थ बेवाथा को एक नई ऊर्जा दे सक्कते है हम उन पैसों को बाहरी मुल्कों को भेज रहे है और नकली देश भक्ति का नाटक करते है ये हमारी दोहरी चरित्र भारतीय संस्कृति में सोभा नहीं देती।

 deshila दीपावली

    deshila दीपावली पर देश भक्ति का पैग़ाम

                  देश भक्ति का मतलब ये नहीं कि भारत माता की जय बोल  देने से देश भक्ति का मतलब पूरा हो जाता है देश भक्ति के लिए अपना तन मन और खून पसीना बहाना पड़ता है स्वदेशी खाना,पहना, मेडिन्न इंडिया को और मजबूती  के साथ अग्रसर करना तथा चाईनीज प्रोडक्ट का बहिष्कार भी करना पड़ता है तब जाके कहीं वास्तव में सही देश भक्ति मानी जाती है ।

         अतः हमें अपनी संस्कृति के अस्तित्व को मिटने से हमेशा रोकना चाहिए और इस deshila दीपावली के पावन मौके पर आओ सब मिलकर घर चले और अपना deshila प्रोडक्ट ही इस्तेमाल करे जिसमे अपने पन का एहसास हो अपनी माटी की खुस्बू हो आओ मिलकर दीप जलाए deshila दीपावली मनाएं।
थैंक्स

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