2020 किसान आंदोलन-2020 kishan aandolan

  किसान आंदोलन 2020

2020 किसान आंदोलन
2020 किसान आंदोलन

  2020 किसान आंदोलन   सरकार की गलत नीतियों की वजह से  26/11/2020 में हरियाणा एवम् पंजाब के किसानों द्वारा ,किसान विरोधी बिल को वापस लेने के लिए सरकार के खिलाफ किसानों द्वारा किया गया आंदोलन देश के अंदर एक नई क्रांति की लहर पैदा कर दी  थी।

 

08 दिसम्बर 2020 को किसानों के आवाहन पर संपूर्ण भारत बंद का ऐलान किया गया था जिसमें देश की सभी बीपकछी पार्टियां किसानों के साथ खड़ी थी जिसकी वजह से मोदी सरकार बैंक फुट पर आगई ।

2020 किसान आंदोलन फार्मर  प्रोटेस्ट 09 दिसंबर को नए कृषि कानून के विरोध में किसान संगठनों के तरफ से बुलाया गया भारत बंद शांति पूर्ण रहा परन्तु इसका असर पूरे देश में रहा ।

 गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा बुलाई गई 13 किसान नेताओं के साथ बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल सका, आचानक हुई इस बैठक में सरकार एवम् किसानों के बीच  कुछ salution निकलने की उम्मीद की जा रही थी but वो भी बे नतीजा रही।

किसान  नेता अपनी मांगो से पीछे हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे,तो वहीं सरकार भी अपनी मनसा जाहिर कर चुकी थी कि किसान बिल कानून वापस नहीं ली जायगी।

2020 किसान आंदोलन, किसान नेताओं से पूछे जाने पर पता चला है कि

सरकार से बातचीत के दौरान किसान नेताओं को क्या संकेत मिले हैं?

क्या उन्हें महसूस हुआ कि मोदी सरकार नए क़ानूनों को वापस लेगी ?

ये पूछे जाने पर कुछ किसान नेताओं ने कहा कि सरकार को ये अंदाज़ा हो गया है कि किसान अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे।

 

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि ‘मोदी सरकार दबाव में है।

        सितंबर में नए क़ानूनों के पारित किए जाने के पहले से इसका विरोध किसान करते आ रहे  हैं. पिछले 10     दिनों में इसमें तेज़ी आई है. हज़ारों किसान धरने पर हैं उनका कहना है कि वो अपनी मांग पूरी करवा कर ही वापस  लौटेंगे ।

2020 किसान आंदोलन को खत्म करने की सरकारी रणनित

2020 किसान आंदोलन सरकार अपनी तरफ से उन्हें तोड़ने के लिए नए नए हथ कंडे अपना रही है यहां तक अंग्रेज़ो की तरह
उनके बीच फूट डालने की भी कोशिश की जा रही है।

और इन्हें रोकने के लिए बल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन अब तक किसानों की एकता क़ायम है और सरकार अब डरने लगी है।

 MSP का फूल फॉर्म क्या है

         Minimum support price (न्यूनतम समर्थन मूल्य) जिसके संशोधन से किसान नाराज है ।

किसी कृषि उपज (जैसे धान, गेहूं,मक्का,ज्वार,बाजरा, आदि) का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वह मूल्य है जिससे कम मूल्य देकर किसान से उसका आनाज नहीं खरीदा जा सकता न्यूनतम समर्थन मूल्य, इंडियन गोर्मेट तय करती है। उदाहरण के लिए आप को बताते चले कि।

 यदि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1600 रूपए प्रति कुन्तल निर्धारित किया गया है तो कोई व्यापारी किसी किसान से 1650 रूपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद सकता है किन्तु 1550 रूपए प्रति कुन्तल की दर से नहीं खरीद सकता।

           भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिये  न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है। इस दौरान गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1840 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया गया है।

विगत वित्तीय वर्ष 2018-19  हेतु धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 200 रुपये बढ़ाकर 1,750 रुपये क्विंटल कर दिया गया था,  मक्के के समर्थन मूल्य को 1425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1700 रुपये किया गया । मूंग की खरीद प्रति क्विंटल 5575 रुपये की दर से हो रही थी।

अब किसानों को इसके लिए 6975 रुपये मिलेंगे। उड़द के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 5400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5600 रुपये किया गया।  बाजरे के एमएसपी को 1425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1950 रुपये किया गया।

 2020 किसान आंदोलन के कारण

*  इस कानून में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है जहां किसानों और व्यापारियों को राज्य की एपीएमसी (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) की रजिस्टर्ड मंडियों से बाहर फ़सल बेचने की आज़ादी होगी.

* इसमें किसानों की फ़सल को एक राज्य से दूसरे राज्य में बिना किसी रोक-टोक के बेचने को बढ़ावा दिया गया है.

* इस बिल में मार्केटिंग और ट्रांस्पोर्टेशन पर ख़र्च कम करने की बात कही गई है ताकि किसानों को अच्छा दाम मिल सके.

* इसमें इलेक्ट्रोनिक व्यापार के लिए एक सुविधाजनक ढांचा मुहैया कराने की भी बात कही गई है.

2020 किसान आंदोलन
2020 किसान आंदोलन

 

            2020 किसान आंदोलन के मुख्य 04 कारण

* सरकार एक पुरानी परम्परा लागू करने जा रही है जिसका नाम है जमा खोरी।

* 2020 के कृषि कानून से कृषि जगत में कार्पोरेट घरानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने का इरादा है।

* धीरे धीरे भारतीय मंडी वेवस्था को खत्म कर दिया जाएगा और ।

* पूरे विश्व में भारत का छवि कृषि प्रधान देश का है वो बदल कर परपोरेट कृषि जगत के नाम से जाना जाएगा ।

हमारे देश के चौकी दार ने रेल बेच दिया , इंडियन एयरलाइंस बेच दिया,बिजली बेच दिया,बीएसएनएल बेच दिया,इंडियन ऑयल बेच दिया ,अब भारतीय कृषि तन्त्र भी बेच दिया , ऐसा पीएम देश पहली बार देख रहा है ।

“भाईयो बहनों कहने वाला ये सक्स ; मताओ ,बुजुर्गो,मेरे प्यारे मित्रो जैसे शब्दों के साथ संबोधन क्यों नहीं करता इसके पीछे भी एक बहुत बड़ा राज है क्योंकि इन शब्दों में अपनत्व की भावना है जिसे हमारा चौकीदार नहीं समझता है ,उसके भाइयों बहनों वाले शब्द में कोई रश नहीं नजर आता है ।

पहले देश को ईस्ट इंडिया कंपनी ने लुटा गुलाम बनाया अभी ये कारपोरेट घराने हमें गुलाम बनाएंगे यह है हमारे प्रधानमंत्री की विकास यात्रा ,आने वाले दिनों में वो बोलेंगे तो हम खाएंगे वो बोलेंगे तो सोएंगे ।

         देश को ये ऐसे लेजी बनाएंगे जैसे जिओ के सिम लांच करके हम और आप को इंटरनेट का लत लगा दिए पहले फ्री का रसगुल्ला खिलाएंगे और बाद में जहर का भी पैसा वसूलेंगे ,इसलिए मौका आगया है वो पुरानी बाते दोहराने की जिसमे कहा जाता था “जागो ग्राहक जागो” जागो किसान जागो”

थैंक्स

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