राजनीत वर्सेस मीडिया Rajneet vs Media

राजनीत वर्सेस मीडिया Rajneet vs Media

 राजनीत वर्सेस मीडिया आज के समय में भारतीय मीडिया भारतीय राजनीत के हाथो की कठपुतली बन गई है उसको ये नहीं समझ में आता है कि जिस भारतीय जनता की कमाई खा खा कर भारतीय राजनीत इतनी गन्दी हो गई है कि सत्ता की लालच का नंगा नाच मीडिया के द्वारा जनता के सामने बेझिझक परोसा जा रहा है

             सभी पार्टी कहती है कि हम जनता की भलाई करने के लिए वोट मांग रहे है और जब जीत कर जाते है तो सारी सर्मो हया की लाज उतारकर रख देते है और उन पार्टियों से गठ बंधन कर लेते जीन पार्टियों के विरोध में जनता वोट करती है  और जनता ठगी ठगी सी मुख दर्शक बन कर देखती रह जाती है , और ये सत्ता के लोभी जनता के जज्बातों से ऐसे खेलते है,  जैसे मानो एक वैश्या पैसे के लिए अपने इज्जत से खिलवाड़ करती है ।


   राजनीत वर्सेस मीडिया Rajneet vs Media & public

हमारी भारतीय मीडिया भी कुछ कम नहीं है इसकी भी हालत जले पर नमक छिड़कने के बराबर है,जिस पार्टी की सत्ता होती है उसकी तारीफ में ऐसे ऐसे कसीदे काटती है जैसे मानो उसका न्यूज चैनल उसी पार्टी के रहमो क्रम से चल रही हो उसको ये नहीं पता कि जिस दिन जनता ने उसके चैनल को नकार दिया तो उसे सड़क पर भीख मांगना पड़ेगा।

              बाढ़ का समय आता है तो दौड़ दौड़ कर डिबेट दिखाते है कि यहां पुल टूट गया तो यहां हजारों एकड़ जमीन नदी मै समाहित हो गया, और इसमें हमा खरे माननीय नेता गड़ भला पीछे क्यों रहेंगे  वो भी अपनी गीली रोटी सेकने पहुंच जाते है और एक दूसरे पर आरोपों की झड़ी ऐसे लगते है। मानो वो अभी अभी गंगा से नहा के आए हो, और हमारी जनता भी कुछ कम थोड़ी है चंद राशन अथवा चंद अनुदान राशि पाने के लिए उनके पीछे पीछे घूमने लगती है इसलिए मै कहूंगा जागो जनता जागो उन चंद पैसों चंद राशन से तुम्हारी भविष्य सुधरने वाली नहीं है सरकार से मांग करो की हमारी लाखो एकड़ जमीन हर साल नदियों में विलीन हो जाती है लाखो परिवार घर से बेघर हो जाते है उनको बचाने के संदर्भ में हमारी सरकार क्या ठोस कदम उठा रही है।

     Rajneet vs Media , Political Versus Media & Condition of Farmers 28

           हमारी मीडिया को भी चाहिए कि उक्त स्थान का दौरा कर वाहा की गतिविधियों पर थोड़ा अपना डिबेट दिखाती रहे ताकि वाहा पर घूसखोरी एवम् मिलावट के चीजों से भारतीय जनता की गाढ़ी कमाई को बचाया जा सके जिस कमाई को स्वीकृति दे कर हमारे भारतीय राजनेता अपनी वाह वाही लूटते है  ।

  सरकारी मसीनारी का खुला लूट। राजनीत वर्सेस मीडिया हमेशा चुप

Rajneet vs Media of Political Versus Media & Condition of Farmers

                                                   राजनीत वर्सेसराजनीत Rajneet vs Media

          हमारी सरकार अच्छे दिन का सपना तो दिखाती है परन्तु वो कागज के पन्नों तक सिमट कर रह जाता है सरकार और मीडिया देश की जनता को “जय जवान जय किसान” का स्लोगन तो पढ़ा रही है परन्तु  किसानों की मजबूरी को कभी मीडिया ने अपने चैनल पर दिखाया है कि एक किसान की सुबह से साम तक की दिनचर्या में कितनी मुश्किल का सामना करना पड़ता है यदि उसको सरकारी मशीनरी और सरकार की थोड़ी  सी सहायता मिल जाएं तो वो अपने खून पसीने से लाखो एकड़ भूमि को सीच कर भारतीय अर्थ बेवस्था में चार चांद लगा सकता है ।

           परन्तु सरकार को इससे क्या फर्क पड़ने वाला है वो तो जानती है कि जनता तो मूर्ख है थोड़ा सा प्रलोभन देने पर वो हमारे पीछे ही दुम हिलाएगी ।बलिया। से 40 किलो मी दूर है गोपाल नगर जहा पर हर साल लाखों एकड़ जमीन घाघरा नदी के तंडव से कभी एक भाग तो कभी चार भाग में बट जाता है ठीक उसी तरह बलिया से 30 किमी दूर दुबे छपरा और मझवा गांव का हाल है, हर साल करोड़ों रुपए का योजना आती है और हर साल  कुछ गंगा तथा घाघरा में चला जाता तो कुछ सरकारी बाबुओं के जेब में, त्रासदी के वक्त मीडिया भी खूब भेाैकती है  और मानिय नेता गड़ भी परन्तु त्रासदी खत्म सब चुप  और। चुप हो भी क्यों ना हम्ही ऐसे है जिसका लाभ तो वो लोग उठाएंगे ही ।

Rajneet vs Media  Suprim court’s hard guide line above

         भारतीय लोक तंत्र को मजबूत बनाने के लिए भारतीय संविधान,सुप्रीम कोर्ट,सीबीआई,आरबीआई,
इलेक्शन कमिशन,जैसी संस्थाओं को कुछ महत्वपूर्ण गाइड लाइन तैयार करनी चाहिए जिससे जनता को राहत और इस लूट खाशोट से भारतीय अर्थ वेवस्थां तथा भारतीय लोक तंत्र,को चोट ना लगे वरना पहले मुगलों ने लुटा,फिर अंग्रेजो ने लुटा,और अब चंद नेता लोग लूट रहे है।

थैंक्स

       
              

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