आत्मनिर्भर भारत Self reliant india
देशिला मंत्र,
आज पूरी दुनिया कोरोना महा मारी से त्रस्त है जिसके कारण ग्लोबल इकोनॉमी तहस नहस हो चुकी है जिसके कारण जनता भूख मरी के कगार पर आ खड़ी हुई है सहरो से सभी कामगारों का पलायन हो चुका है ,इसलिए कोरोना भी अब सहरो से गावो में अपना पैर पसार रहा है । ऐसे में केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार उसके पास सिर्फ एक ही option बचता है तुरंत लॉक डाउन लगा कर आम दिन चर्या पर fool stop लगा देना ।
आत्मनिर्भर भारत Self reliant india |
अभी जो कामगार अपने अपने घरों को पलायन कर चुके थे अब उनके सामने दो वक़्त की रोटी की समस्या आ खड़ी हुई है जिसका नतीजा यह है कि अब वो लोग फिर से शहरों की तरफ रुख करने की सोच रहे है इसलिए, देशिला मंत्र आपको गावो में रह कर रोजगार करने की तथा हमारे प्रधान मंत्री की आत्मनिर्भर भारत की परी कल्पना को साकार करने की सलाह देता है ।
कुछ लोग प्रधान मंत्री की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना का मजाक उड़ाते है वो हमारे नजर में गलत है ,क्यों कि ये वर्षों पुरानी कहावत है कि “अपना काम स्वयम करो,कल करो सो आज करो,आज करो सो अभी” इसलिए आत्मनिर्भर Self reliant india का मतलब तो बहुत कुछ होता है परन्तु कुछ बुद्धि हिन व्यक्ति इसका मजाक उड़ा रहे है हमारी नजर में आत्म निर्भर भारत का मतलब तो ये है कि जिस प्रकार हम खुद अपनी खेती करते है, खुद खाना खाते है,खुद नहाते है ,खुद सोते है, ठीक उसी प्रकार हमें खुद का बिजनेस करना होगा , खुद का प्रोडक्ट बनाना होगा ।
जिसके लिए हमें खुद अंतरपनोर बनना होगा किसी दूसरे कंट्री के ऊपर निर्भर होना कोरोना जैसी महा मारी को न्योता देने जैसा है । जैसे कि हमारे पड़ोसी मुल्क चीन से आयात निर्यात आज हमारे गले की फाश बना हुआ है जिसका परिणाम आज पूरा देश भुगत रहा है कहीं गलवान घाटी में तो कहीं लद्दाख में हमारे सैनिक मारे जा रहे है ।
आज हम चीन के ऊपर इतना निर्भर नहीं होते तो ,कब का हमारा देश आत्मनिर्भर भारत Self reliant india हो गया होता परन्तु कुछ हमारी गलती और कुछ सरकार की नीतियां जिम्मेवार है जिसका खामियाजा आज हमे भुगतना पड़ रहा है ,खैर जब जागो तब सवेरा ये भी एक सच्चाई ही है इसलिए पब्लिक एवम् सरकार को good morning
आत्मनिर्भर भारत का रूप Form of self reliant india
आत्मनिर्भर भारत Self reliant india |
आत्मनिर्भर भारत का रूप आपको एक कहानी के माध्यम से बताने जा रहे है जिसका कथन इस प्रकार है
राघव बहुत गरीब आदमी था उसके फैमली में एक बीवी तथा चार बच्चे थे राघव के लिए बच्चो को दो वक़्त की रोटी खिलाना बहुत मुश्किल था ,और हो भी क्यों ना राघव थोड़ा लेजी किशम का व्याक्ति था ,वह इतना आराम पसंद आदमी था की घर की दो एकड़ जमीन होने के बावजूद भी उस पर खेती नहीं कर पाता था ,उसकी पूरी गृहस्ती एक भैंस पर टीका था जो दूध देती तो रोटी मिलता नहीं देती तो नहीं मिलता ,राघव का पूरा परिवार उसी एक भैंस पर निर्भर था ।
एक दिन इस्वर ने देखा मै तो इसको सारे संसाधन दिया हूं परन्तु ये इतना गरीब क्यों होता जा रहा है यह सोच कर भगवान एक दिन साधु का भेस धर कर उसकी परीक्षा लेने के लिए अपने सिस्य के साथ उसके घर के तरफ चल दिए राघव का घर जंगल में था रात काफी हो चुकी “महाराज हम लोग दो घंटे से चले जा रहे अंधेरा भी हो गया है ,आखिर हम लोग जा कहा रहे है आपने हमें कुछ बताया भी नहीं “सिस्य ने आश्चर्य भरे लभजो से पूछा ।
“ये सब तुम नहीं जानोगे वत्स बस तुम मेरे पीछे पीछे चलते जाओ “साधु जी ने अपने सिस्य को समझाते हुए बोले ।
थोड़ी देर बाद साधु जी एक झोपड़े के पास जा कर रुक गए ,और अपने सिष्य को दरवाजा खोलवाने के लिए बोले , दरवाजे पर दस्तक देख राघव खुद ही दरवाजा खोल कर बोला ” महाराज इतनी रात गए हमारे यहां अभी तो मै आपकी कोई सेवा नहीं कर पाऊंगा ” घबडाओ नहीं पुत्र मै तुम से कुछ मांगने नहीं आया हूं ,बस रास्ते में अंधेरा हो गया और जाना बहुत दूर है सोचा तुम्हारे यहां रात भर विश्राम करूंगा और सुबह होते ही चला जाऊंगा “
“ठीक है महाराज अंदर आइए “राघव ने साधु जी को सत्कार पूर्वक अंदर ले गया सारे बच्चे सो गए थे ,साधु जी को बगल के एक फुश नुमा झोपड़े में बिठा कर वो अपनी बीवी को जगाया घर में खाने के लिए भी कुछ नहीं था, इसलिए उसकी बीवी ने राघव को काफी फटकार लगाई ,फिर घर में पड़ा चुरा दही थाली में परोस कर बोली”लो ले जाओ साधु जी को भोग लगा दो बोल देना आज खाना नहीं बना था ।
साधु जी के भोग लगाने के बाद सभी परिवार सो गए ।
साधु जी को रात के दो बजे नींद खुल गया वो अपने सिस्य को चुपके से जगाए, और बाहर निकल गए और राघव की भैंस साथ खोल कर ले चलने के लिए बोले , सिष्य अचंभित नजरो से साधु जी को देखे जा रहा था “परन्तु” सिष्य कुछ बोलना चाहा परन्तु साधु की उसे चुप करा दिए ।
कुछ दूर जाने के बाद साधु ने अपने सिष्य से बोले अब इस भैंस को उस पहाड़ी से गिरा कर मार दो सिष्य को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि महा राज एक भले इंसान के साथ ऐसा क्यों कर रहे है
परन्तु वो महाराज के सामने कुछ नहीं बोल पाया जैसा जैसा महाराज बोले, ठीक वैसे ही करता गया भैंस को पहाड़ी से गिरा कर मार दिया और चले गए ।
धीरे धीरे चार पांच साल गुजर गया , एक दिन साधु जी अपने सिष्य को लेकर भ्रमण पर निकले जंगल के रास्ते से होकर जाते हुवे सिष्य को याद आ गया वो रात “महा राज कृपा करके ये रास्ता बदल लीजिए नहीं तो आगे मै नहीं जाऊंगा ” सिष्य ने साधु को रोकते हुए बोला ।
“परन्तु ऐसा क्या हुआ जो इस रास्ते पर नहीं जाओगे मै हूं ना तुम चुप चाप चलो”साधु ने सिष्य को समझाते हुए बोला ।
कुछ दूर जाने के बाद एक विशाल फलो का बगीचा मिला और बगल में एक आलीशान महल के सामने महराज जी रुक गए आवाज लगाने के बाद एक सूट बुट पहने आंखो पर चस्मा लगाए एक आदमी बाहर आया और गौर से साधु को देखने लगा और ,वो सायद साधु को पहचान गया , अगले ही पल वो साधु को प्रणाम कर , आदर पूर्वक घर में ले गया ।
अंदर जाने के बाद साधु ने बोला पुत्र तुम तो बहुत अमीर हो गए ये सब कैसे हुआ “सोफे पर साधु ने बैठते हुवे बोले।
राघव ने साधु के चरणों में बैठ कर आप बीती बताने लगा “महाराज जिस रात आप लोग हमारे झोपड़े में आए थे और बिना बताए चले भी गए थे , उसी रात मेरी भैंस पहाड़ी से गिर कर मर गई थी और हमारे ऊपर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा था हमारे घर में एक एक दाने का लाले पड़ गया मेरे बच्चे भूख से बिलखने लगे थे तब जा कर मै गाव से दूर जा कर एक सेठ के यहां मजदूरी करने लगा तथा खाने पीने से जो पैसा बचता उससे इक इक फलो का पेड़ अपने जमीन में लगाने लगा और देखते देखते मेरे पास बहुत बड़ा फलो का बगीचा लग गया ।आज मेरे बगीचे का फल देश के हरेक कोने में आयात होता है ।
शायद उस रात मेरे साथ ये घटना ना घटित होती तो आज मै इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाता ।
इसलिए ये कोरोना हमारी मजदूरी नामक भैंस को मार दिया है अभी हमें आत्म निर्भरता का परिचय देते हुवे खुद का इंपायर खड़ा करना होगा तभी हम एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर पाएंगे तथा अपने आप को एवम् भारत को सस्कत भारत बना पाएगा।